Friday, February 4, 2011

Shayari

आज फिर दरक्शों से पत्ते बिछङ रहे हैं;
आज फिर तेरी बेवफाई पर हम रो रहे हैं;
कभी इन पत्तों में तेरा चेहरा चमकता था;
आज इन पर हम तेरी बेवफाई की कहानी लिख रहे हैं....

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