Friday, December 10, 2010

Shayari

खुदा की नैंमत जो उसने हमेँ तुमसे मिलवाया;
अमावस की काली रात में चाँद का दीदार करवाया
अब एक ही गुजारिश है, की हाथों से हाथ न छुटे;
साँसों से साँसों का बंधन न टूटे.....

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