Thursday, February 24, 2011

Shayari

तुमको चाहा, पर इकरार न कर पाए;
दिल की बात जुबां पर न ला पाए,
तुमने जब मांगी जुदाई;
हाय रे ! यह खामोश मोहब्बत, हम उससे भी इनकार न कर पाए....

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