Tuesday, July 2, 2019

Poem: कौन हैं अपनों से ?

घिरे हैं लोगों  से
पर कौन हैं अपनों से ?
राज़ जो हमारे छुपा कर रखें दिल में

एक आईना सच्च बोल देता है
मुस्कुराओ तो मुस्कुरा देता है
पर वो भी तो नाज़ुक है
एक ठेस में सब बिख़ेर देता है
ऐतबार था जिसका
वो ही सारे राज़ खोल देता है

शांत समुंदर की गहराई में राज़ छुपाए जाते हैं
पर वो भी तो तूफानों में
सब किनारें पर ला छोड़ देता हैं

चट्टाने दिखती हैं मज़बूत ; राज़ हमारे छुपा लेंगी
पर गूँज इनकी दूर तक सबको सुनाई दे जाती है

दरख्तों के पत्ते पतझड़ में बह जाते हैं
जो रह गए वो हवा की सरसराहट में सब बोल जाते हैं

घिरे हैं लोगों  से
पर कौन हैं अपनों से ?
राज़ जो हमारे छुपा कर रखें दिल में
 

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