Monday, November 17, 2014

Shayari

तेरे प्यार ने इस क़दर दीवाना कर दिया 
दुनिया तो  क्या हमें ख़ुद से बेगाना कर दिया 
इन आँखों को बस तुम ही नज़र आते हो 
तेरे साथ ने हमें अपनों में पराया कर दिया... 

Shayari

कश्ती को माँझी का सहारा मिला 
इस टूटते दिल को तेरे प्यार का.… 
आँखों का पैमाना छलक ही जाता 
अगर तेरी मुस्कान का सहारा ना मिलता  

Thursday, November 6, 2014

Shayari

हर गुज़रते लम्हें में तुम और भी याद आते हो 
और तुम्हें शिकायत है की हम सब भूल जाते हैं..  

Shayari


शब्दों में दर्द कैसे बयां करो?
शुक्र है आखों की ज़ुबां तुम समझते हो

Poem-क्यों ऐसा होता है?

क्यों ऐसा होता है?


आज वो कमरा पराया लगा 
जो कल सिर्फ़ मेरा था 
आज उसकी हर चीज़ अलग थी 
जिसे कभी हाथोँ से सवारा  मैंने था 


क्यों ऐसा होता है?


जन्म लिया जिस घर में 
वोह अपना क्यों नहीं कहलाता है?
हक से माँग लेते थे हर चीज़ 
आज क्यों संकोज होता है?
क्या बेटी का जन्म सिर्फ पराया धन कहलाने को होता है?


क्यों ऐसा होता है?


वो आगँन जहाँ अठखेलियाँ करी 
आज़ पता मेरा पूछता है 
कभी ना जाऊँगी जिन्हें छोड़कर 
आज़ उनकी याद में दिल रोता है 


क्यों ऐसा होता है?


माँ बाप की दुलारी अब घर किसी और का सँवारेगी 
छोड़ कर बाबुल की गलियां 
पहचान नई बना लेगी....... 


 

Shayari

कभी जब तन्हाई में तुम्हें सोचा करते हैं 
होठों पर मुस्कान और आखों में आँसू आ जाया करते हैं 
तुम ही ने तो यह सज़ा दी है 
इसलिए तो गम में भी हम मुस्कुराया करते हैं