Friday, December 10, 2010

Shayari

खुदा की नैंमत जो उसने हमेँ तुमसे मिलवाया;
अमावस की काली रात में चाँद का दीदार करवाया
अब एक ही गुजारिश है, की हाथों से हाथ न छुटे;
साँसों से साँसों का बंधन न टूटे.....

Monday, December 6, 2010

Shayari

मेरे हाथों की लकीरों पर जो एक नाम लिखा है;
मेरे नसीब में उस दोस्त का प्यार लिखा है,
आज वो चाहें हमसे दूर हों;
तकदीर में उन्ही से मिलने का पैगाम लिखा है......