एक कद़म की दूरी पर
मेरी जिंदगी खड़ी थी
फैलाये बांहे मुझे पुकार रही थी
जब चला मैं उसकी ओर, तो
वह और दूर जा रही थी
अचम्भे में था मैं
और वह मुझ पर हंस रही थी
पूछा मैंने, क्यों मुझसे वो भाग रही थी?
बोली तुझसे नहीं, मैं तेरी ख़्वाहिशों से घबरा रही थी
यह सुन मैं ज़रा ठहर गया
सच सुन ज़रा सहम गया
बात छोटी थी, पर गहराई उसमें बड़ी थी
हमें यह समझना होगा,
जो है, उसमें संतुष्ट होना होगा
यह सुन जिंदगी मुझसे खुश थी
मेरा हाथ थामे अब वो मेरे संग थी
मेरी जिंदगी खड़ी थी
फैलाये बांहे मुझे पुकार रही थी
जब चला मैं उसकी ओर, तो
वह और दूर जा रही थी
अचम्भे में था मैं
और वह मुझ पर हंस रही थी
पूछा मैंने, क्यों मुझसे वो भाग रही थी?
बोली तुझसे नहीं, मैं तेरी ख़्वाहिशों से घबरा रही थी
यह सुन मैं ज़रा ठहर गया
सच सुन ज़रा सहम गया
बात छोटी थी, पर गहराई उसमें बड़ी थी
हमें यह समझना होगा,
जो है, उसमें संतुष्ट होना होगा
यह सुन जिंदगी मुझसे खुश थी
मेरा हाथ थामे अब वो मेरे संग थी